बराक हुसैन ओबामा के अमेरिकी राष्ट्रपति चुने जाने से जातीय भेदभाव की दीवार टूट गई है। अश्वेत कोनियाई पिता और कान्साई माता के पुत्र, ओबामा की जीत ने जातीय भेदभाव की सभी सीमाएं तोड़कर एक ऐसे व्यक्ति द्वारा बुलंदी को छूने की असाधारण उपलब्धि को प्रस्तुत किया है जो चार साल पहले इलिनॉयस सीनेट में कार्यरत थे।
ओबामा की भारी जीत से अमेरिका में युवा क्रियाशीलता झलकती है, जिसकी चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
अमेरिका के 44वें राष्ट्रपति के नाते पहली बार किसी अफ्रीकी अमेरिकी ने देश के सर्वोतम कार्यालय में धाक जमाई है और यह एक ऐतिहासिक क्षण है जब किसी नए आगंतुक ने पहले ही प्रयत्न में व्हाइट हाउस पर विजय पताका लहराई है।
अपने आप में विलक्षण इस पुस्तक में पाठकों को ओबामा के बचपन, माता-पिता, परिवार, पढ़ाई, वैवाहिक जीवन और इन तमाम बातों से ऊपर विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय विवादों पर ओबामा के विचारों के अलावा और भी बहुत कुछ मिलेगा। भारत के प्रति उनकी विचारधारा और नीतियों को भी इस पुस्तक में किया गया है।
बराक हुसैन ओबामा के अमेरिकी राष्ट्रपति चुने जाने से जातीय भेदभाव की दीवार टूट गई है। अश्वेत कोनियाई पिता और कान्साई माता के पुत्र, ओबामा की जीत ने जातीय भेदभाव की सभी सीमाएं तोड़कर एक ऐसे व्यक्ति द्वारा बुलंदी को छूने की असाधारण उपलब्धि को प्रस्तुत किया है जो चार साल पहले इलिनॉयस सीनेट में कार्यरत थे।
ओबामा की भारी जीत से अमेरिका में युवा क्रियाशीलता झलकती है, जिसकी चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
अमेरिका के 44वें राष्ट्रपति के नाते पहली बार किसी अफ्रीकी अमेरिकी ने देश के सर्वोतम कार्यालय में धाक जमाई है और यह एक ऐतिहासिक क्षण है जब किसी नए आगंतुक ने पहले ही प्रयत्न में व्हाइट हाउस पर विजय पताका लहराई है।
अपने आप में विलक्षण इस पुस्तक में पाठकों को ओबामा के बचपन, माता-पिता, परिवार, पढ़ाई, वैवाहिक जीवन और इन तमाम बातों से ऊपर विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय विवादों पर ओबामा के विचारों के अलावा और भी बहुत कुछ मिलेगा। भारत के प्रति उनकी विचारधारा और नीतियों को भी इस पुस्तक में किया गया है।
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